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शनिवार, 9 जून 2018

छीन के आसमां धरती ओ समंदर मेरा
नाम भी ख़ूब ये रक्खा है कलंदर मेरा ।

कितना भारी है सितम हाय सितमगर तेरा
आंख का सूख गया सारा समंदर मेरा ।

संग हर इक चीज़ के मिलती है ज़िम्मेदारी भी
संभल कि तूने उठा रक्खा है ख़ंजर मेरा ।

सूरज प्रकाश राजवंशी 27-05-2018

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