यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 9 जून 2018

दर्द दिल का मिटा गया कोई
मेरे आंसू सुखा गया कोई ।

आदमी को कोई मलाल नहीं
भूख के काम आ गया कोई ।

मैं जो दिन के उजाले सा फैला
रात बनकर के छा गया कोई ।

मेरी हस्ती मेरी नहीं केवल
मेरी आंखों में बस गया कोई ।

सूरज प्रकाश राजवंशी 09-06-2018


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें