दर्द दिल का मिटा गया कोई
मेरे आंसू सुखा गया कोई ।
आदमी को कोई मलाल नहीं
भूख के काम आ गया कोई ।
मैं जो दिन के उजाले सा फैला
रात बनकर के छा गया कोई ।
मेरी हस्ती मेरी नहीं केवल
मेरी आंखों में बस गया कोई ।
सूरज प्रकाश राजवंशी 09-06-2018
मेरे आंसू सुखा गया कोई ।
आदमी को कोई मलाल नहीं
भूख के काम आ गया कोई ।
मैं जो दिन के उजाले सा फैला
रात बनकर के छा गया कोई ।
मेरी हस्ती मेरी नहीं केवल
मेरी आंखों में बस गया कोई ।
सूरज प्रकाश राजवंशी 09-06-2018