यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 25 मार्च 2018


करीब रब के वो इंसान हुआ करता है,
जो अपने हक़ से गरीबों को दिया करता है ।

दराज़ इश्क़ का अंदाज़ हुआ करता है,
हुस्न चन्द रोज़ का मेहमान हुआ करता है ।

ज़िंदा रहते तो कभी हाल न पूछा जिसका,
आदमी ढोंगी है, मरने पे दुआ करता है ।

होते आए हैं हर इक दौर में रावण पैदा,
बड़ी मुश्किल से मगर राम हुआ करता है ।

सूरज प्रकाश राजवंशी, अक्टूबर 1997

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें