करीब रब के वो इंसान हुआ करता है,
जो अपने हक़ से गरीबों को दिया करता है ।
दराज़ इश्क़ का अंदाज़ हुआ करता है,
हुस्न चन्द रोज़ का मेहमान हुआ करता है ।
ज़िंदा रहते तो कभी हाल न पूछा जिसका,
आदमी ढोंगी है, मरने पे दुआ करता है ।
होते आए हैं हर इक दौर में रावण पैदा,
बड़ी मुश्किल से मगर राम हुआ करता है ।
सूरज प्रकाश राजवंशी, अक्टूबर 1997
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