ऐ, सपनों न आँखों में आया करो,
गरीबी में जी न जलाया करो !
छत से सवेरे ये कहती है चिड़िया,
कभी हमको भी दाना खिलाया करो !
बुरी है गिराने की आदत तुम्हारी,
तुम गिरतों को आकर उठाया करो !
सूरज प्रकाश (३१-०७-२०११)
गरीबी में जी न जलाया करो !
छत से सवेरे ये कहती है चिड़िया,
कभी हमको भी दाना खिलाया करो !
बुरी है गिराने की आदत तुम्हारी,
तुम गिरतों को आकर उठाया करो !
सूरज प्रकाश (३१-०७-२०११)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें