ठंडा करते हैं कभी दिल को गरम करते हैं,
यार आशिक भी जो करते हैं अजब करते हैं !
नज़र आता है कभी चाँद में महबूब का मुखड़ा,
और कभी चाँद में सूरज का भ्रम करते हैं !
मौलवी साहब तो करते हैं अमीरों को सलाम,
हरम में बैठ के जेबों को गरम करते हैं !
वो अक्लमंद हैं, जो चलते नहीं सीधी चालें,
और हम बेवकूफ, सीधा जो सफ़र करते हैं !
प्रेम में झूठ तो चलता नहीं लेकिन "सूरज",
राम तो प्रेम से झूठा भी ग्रहण करते हैं !
सूरज प्रकाश राजवंशी (०५/०७/२०११)
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