जीना मुहाल है मेरा, मरना मुहाल है,
जो हाथ में आया नहीं उसका मलाल है !
कहते हैं ये मेहमां कि हम न जायेंगे अभी,
अब तक तेरे घर में बचा आटा है दाल है !
है बाल से बारीक भी, धरती से बड़ा भी
नज़रों में जो आता नहीं उसका जमाल है !
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तुम साथ हो मेरे तो किस बात का डर है,
हर गाम पे मंजिल है हर इक गाम डगर है !
हम ढूँढने निकलेंगे तो उसे ढूँढ ही लेंगे,
लगता है ये मुश्किल, बहुत आसान मगर है !
है कौन वो गुस्ताख़ गिराता है बिजलियाँ ?
है काम ये पहले का मगर आज असर है !
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रात को जब हम सोये थे
तारे सपनों में खोये थे !
अब फल होंगे आम कहाँ ?
बीज बबूल के बोये थे !
अब जाने पर न रोयेंगे,
हम जब आये तब रोये थे !
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"सूरज प्रकाश राजवंशी "
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