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शनिवार, 26 जनवरी 2013

राम तो प्रेम से झूठा भी ग्रहण करते हैं !



ठंडा करते हैं  कभी दिल को गरम करते हैं,
यार आशिक़ भी जो करते हैं ग़ज़ब करते हैं  !

नज़र आता है कभी चाँद में महबूब का मुखड़ा
और  कभी  चाँद  में  सूरज  का  भ्रम करते हैं   !

मौलवी साहब तो करते हैं अमीरों को सलाम
हरम में  बैठ,  के  जेबों को  गरम  करते हैं  !

वो अक्लमंद हैं, जो चलते नहीं सीढ़ी चालें,
और हम बेवकूफ़, सीधा जो सफ़र करते हैं  !

प्रेम में झूट तो चलता नहीं लेकिन सूरज
राम तो प्रेम से झूठा भी ग्रहण करते हैं  !

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