ठंडा करते हैं कभी दिल को गरम करते हैं,
यार आशिक़ भी जो करते हैं ग़ज़ब करते हैं !
नज़र आता है कभी चाँद में महबूब का मुखड़ा
और कभी चाँद में सूरज का भ्रम करते हैं !
मौलवी साहब तो करते हैं अमीरों को सलाम
हरम में बैठ, के जेबों को गरम करते हैं !
वो अक्लमंद हैं, जो चलते नहीं सीढ़ी चालें,
और हम बेवकूफ़, सीधा जो सफ़र करते हैं !
प्रेम में झूट तो चलता नहीं लेकिन सूरज
राम तो प्रेम से झूठा भी ग्रहण करते हैं !
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