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शनिवार, 26 जनवरी 2013

कुछ ग़ज़लें


आज तुमसे जो मुलाक़ात हो गई
मैंने समझा ख़ुदा से बात हो गई  !

फूल कागज़ के रक्खे हैं घर में
रंग ओ खुशबू तो गई बात हो गई  !

जिस तरह तूने मुझे छोड़ा है
सीधेपन की तो यहीं मात हो गई  !                         (23-09-2011)
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तुम मुझसे इक वादा कर लो, मैं तुमसे इक वादा,
इसी बहाने मिला करेंगे, थोडा कभी ज्यादा  !

तुमने मुझसे क्या लेना था मैंने तुमसे क्या लेना
मुश्किल तभी ये हल होगी जब होगा नेक इरादा  !

जब भी मेरी छत पे आ के चिड़िया चहचहाती है
मुझको  मेरे  घर की मुश्किल लगती है कुछ  सादा  !                            (18-07-2011)
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